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विजयमुनिजी का विहार, समाजजनों ने दी विदाई – Amazing No.1 News

विजयमुनिजी आदि ठाना का दिवाकर भवन से विहार , हजारों नम आंखों से श्रावक श्राविका एवं समाजजनों ने दी विदाई

तुमको कभी भुला नहीं पाएंगे…, महापुरुष किसी पंथ के नहीं पूरे संसार के होते हैं- प्रवर्तक विजय मुनि जी महाराज साहब,

नीमच। श्री विजयमुनिजी म. सा. श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर जैन भवन चातुर्मास संपन्न हुआ।  हजारों नम आंखों से श्रावक श्राविका एवं समाजजनों ने दी विदाई।

भारत की आर्य भूमि बहुत पवित्र है। इसमें ज्ञान का आगोश और चरित्र की सुगंध लेकर कई महापुरुषों ने कर्म किया है। महापुरुष किसी पंथ के नहीं होते वे तो पूरे संसार के होते हैं उनका जीवन सदैव प्रेरणादाई बना रहता है। महापुरुषों के बताएं उपदेश पर चले तो हमारे जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकते हैं। यदि नीमच नहीं आते तो बड़ी भूल होती, तुमको कभी भुला नहीं पाएंगे।

यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर जैन भवन चातुर्मास संपन्न होने के बाद सुबह 10 बजे विहार से पूर्व आयोजित चातुर्मास परिवर्तन धर्म सभा में कही। वे श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित पांच माह के चातुर्मास पर आयोजित चातुर्मास परिवर्तन कार्यक्रम की धर्म सभा में बोल रहे थे ।

उन्होंने कहा कि चतुरमास में की गई तपस्या और भक्ति जीवन को आनंद देती है। और जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाती है यही परिवर्तन जीवन जीने की कला सिखाता हैं। चातुर्मास में विहार के लिए विदाई प्रसन्नता के साथ होनी चाहिए। दुखी मन के साथ नहीं होनी चाहिए। क्योंकि साधु संत महापुरुष महान होते हैं।

विजयमुनिजी का विहार, समाजजनों ने दी विदाई :

विजयमुनिजी वे समाज कल्याण के लिए आगे के लिए विहार करते हैं। प्रसन्न मन से ही विदाई देना चाहिए। इसलिए विदाई नहीं बधाई होती है। 5 माह चातुर्मास के बाद अब साधु संत निरंतर आठ माह तक आठ कर्म के लिए विहार के माध्यम से आगामी स्थान के लिए प्रस्थान करते हुए समाज और दूसरों के कल्याण की कामना के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं।

चातुर्मास में की गई आराधना पर साधना तभी सार्थक होती है जब हम उसे जीवन में आत्मसात करें और निर्धन और असहाय की भलाई करें। मित्र पड़ोसी और परिवारजन से विनम्रता के साथ बात करते हुए उन्हें भी धर्म क्षेत्र से जोड़कर आत्म कल्याण के क्षेत्र में आगे बढ़ाएं तभी सच्चे अर्थों में चातुर्मास में उपदेश प्राप्त करना सफल होता है।

नकारात्मक सोच को छोड़े बिना सकारात्मक सोच नहीं आती है। अभी समाजजन चातुर्मास से यह शिक्षा ग्रहण करें की सभी परिवार मित्रजन पड़ोसी एक दूसरे के सुख दुख में सहभागी बनेंगे और एक दूसरे की सहायता करेंगे। पूरे देश के आदर्श आचार्य डॉक्टर शिव मुनि एक महान संत है उन्होंने संप्रदाय से ऊपर उठकर सभी संतो के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास किए हैं जो आज भी महान प्रेरणादाई कदम है।

प्रत्येक समाज वर्ग के साधु संत के लिए दवाइयां और भोजन के सेवा प्रकल्प अभियान के लिए समाज जनों को प्रेरणा देकर आगे बढ़ाने में योगदान प्रदान करवाया है। सबका साथ सबका विश्वास सबका विकास ही समाज विकास का प्रमुख आधार होता है। श्री संघ में निरंतर 5 माह तक साधु संतों की अविस्मरणीय सेवाएं की है।

दिवाकर की भूमि को पूरा देश प्रणाम करता है। इस अवसर पर चंद्रेश मुनि जी महाराज साहब ने कहा कि जीव दया के क्षेत्र में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सेवा प्रकल्पों को आगे बढ़ाने में योगदान देने वाले समाज सेवी संस्थाओं को सहयोग देने वाले भामाशाहों का सम्मान करना आवश्यक होता है।

आधार की चादर उन्हें हमेशा मिलना चाहिए। ताकि समाज सेवा के प्रकल्प निरंतर चलते रहे हैं और समाज के अंतिम छोर पर बैठे निर्धन और असहाय व्यक्ति की सहायता सदैव होती रहे ताकि समाज में संतुलन बना रहे और कोई भी व्यक्ति अपने आप को दुखी या पीडि़त नहीं समझे और वह भी अपने दुख को दूर कर समाज के मुख्य धारा में शामिल हो सके। साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि विदाई अवगुणों की होना चाहिए संतों की नहीं। संत तो आते जाते रहते हैं। हम संतो द्वारा सिखाए गए धार्मिक उपदेश और सत्य अहिंसा के गुण को जीवन में आत्मसात कर जीवन का कल्याण कर सकते हैं।

समाजसेवी संतोष चोपड़ा ने अपने सम्मान के उपरांत उपस्थित धर्मावलंबियों को संबोधित करते हुए कहा कि साधु संतों की सेवा का पुण्य कर्म करने से हमारे दुख और पाप नष्ट होते हैं और जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। समाज के द्वारा सभी साधु संतों की सेवा की गई है जो अनुकरणीय है समाज को जब भी आवश्यकता होगी तो सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। संत जन कल्याण कर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हैं और संतों का आशीर्वाद हमें जीवन में आगे बढ़ाता है। इस अवसर पर समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी नवयुवक मंडल के पदाधिकारीयों तथा अनेक समाज सेवीयों को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मान किया गया।

विजयमुनिजी महाराज साहब आदि ठाना ने विहार

इस अवसर पर प्रवर्तक विजयमुनिजी महाराज साहब आदि ठाना ने विहार किया। विहार जुलूस ऑफीसर मैस, गर्ल्स कॉलेज, चौकन्ना बालाजी, रेलवे स्टेशन रोड होते हुए कृषि उपज मंडी गेट स्थित जिन कुशल दादाबाड़ी में पहुंचकर अमृत प्रवचन मार्गदर्शन धर्म सभा में परिवर्तित हो गया।
विहार में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। विजयमुनिजी के विदाई बिहार कार्यक्रम में में सैकड़ों समाज जन बड़ी संख्या में उत्साह के साथ उपस्थित थे। और सभी ने संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया

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