नीमचमध्यप्रदेश

रामपुरा महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

रामपुरा महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गय

रामपुरा महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामपुरा में 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एन.के.डबकरा की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त शिक्षक श्री आत्माराम जोशी एवं श्री पुरालाल धनगर थे जिनका सम्मान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एन.के.डबकरा एवं प्रोफेसर डॉ.हेमकांत तुगनावत द्वारा शाल एवम् श्रीफल देकर किया गया मुख्य अतिथि श्री आत्माराम जोशी द्वारा गुरु शिष्य परंपरा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु एवं शिष्य के बीच बहुत ही सम्माननीय संबंध होता है। प्राचीन समय में नालंदा एवं तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय रहे जहां पर रहकर शिष्य अध्ययन करते हुए अनुशासित एवम् संयमित जीवन शैली को आत्मसात करते थे एवम् सांदीपनी जैसे आश्रम विद्या अध्ययन के प्रमुख केंद्र थे। श्री पुरालाल धनगर ने कहा कि शिक्षा से संस्कार प्राप्त होता हैं उसी से व्यक्ति की पहचान होती है। शिक्षा से ही उच्च गुणवान नागरिक तैयार होते हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एन.के. डबकरा द्वारा गुरु शिष्य परंपरा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा से ही संस्कारों का विकास होता है,शिष्य इन संस्कारों को गुरु से प्राप्त करता है उन्होंने कहा कि वर्तमान में शिक्षा के कई माध्यम आ चुके हैं जिसके माध्यम से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते हैं परंतु सर्वांगीण शिक्षा शिष्य गुरु के सानिध्य में ही प्राप्त करता है गुरु शिष्यों का मार्गदर्शक होता है शिक्षक अपने शिष्यों को नई उपलब्धियां हासिल हो यही सम्मान चाहता है।उन्होंने नवाचार पर विशेष जोर दिया उन्होंने कहा कि तकनीकी में परिवर्तन के अनुरूप नवाचार होना आवश्यक है। प्राध्यापक डॉ.हेमकांत तुगनावत द्वारा कहा गया कि भारतीय शिक्षा में गुरु का स्थान बड़ा ही गौरव का रहा है उनका बड़ा आदर और सम्मान होता था गुरु विद्वान सदाचारी होते थे और विद्यार्थियों के कल्याण के लिए सदा कटिबंध रहते थे अध्यापक छात्रों का चरित्र निर्माण उनके लिए भोजन,वस्त्र और चिकित्सा करते थे गुरु शिष्य को निशुल्क शिक्षा देते थे संयम वेशभूषा में रहते थे शिष्य गुरु का समय पर हर आदेश का पालन करते थे उन्होंने कहा कि गुरु शिष्य के व्यक्तित्व के विकास का आधार है। कार्यक्रम के इस अवसर पर महाविद्यालय की B.A. तृतीय वर्ष की छात्रा ज्योति माली द्वारा गुरु शिष्य परंपरा पर आधारित गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की प्रभारी शिवकोर कवचे द्वारा किया गया एवम् आभार डॉ. हेमकांत तुगनावत ने माना। कार्यक्रम के इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक,अतिथि विद्वान,कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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