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न सिंधिया समर्थक भड़कें, न घर में हो तकरार; क्या सावधानियां बरत रही है भाजपा सरकार

MP Election Update: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में झटका खा चुकी भारतीय जनता पार्टी इस बार कोई गलती करना नहीं चाहती। खबर है कि सत्ता वापसी में बड़ी भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया कैंप को खुश रखने से लेकर आंतरिक कलह रोकने तक बड़े उपाय करती नजर आ रही है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेता भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

गुटबाजी पर नकेल?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शासित राज्य में भाजपा में कई गुट माने जाते हैं। इनमें सीएम के अलावा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, इस बार चुनाव में उतरे भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और केंद्रीय मंत्री सिंधिया जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं। हालांकि, कलह कभी खुलकर सामने नहीं आई, लेकिन पार्टी सतर्क है।

इंदौर-1 से विधायक उम्मीदवार विजयवर्गीय तो यह भी कह चुके हैं कि भाजपा ही भाजपा को हरा सकती है। मई में उन्होंने कहा था, ‘मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है। आज की तारीख में कांग्रेस, भाजपा को नहीं हरा सकती। कांग्रेस के पास हिम्मत नहीं है। हां, अगर हमने संगठन स्तर पर की हुई गलतियों को नहीं सुधारा, तो भाजपा ही भाजपा को हरा सकती है। कांग्रेस के पास ताकत नहीं है।’

ऐसे में पार्टी गुटबाजी पर नकेल कसने के लिए पीएम मोदी के चेहरे का सहारा लेती नजर आ रही है। मौजूदा सियासी तस्वीर से लेकर सड़कों पर लगे पोस्टर में पीएम सबसे बड़ा चेहरा बने हैं। साथ ही प्रचार में भी वह बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

CM उम्मीदवार कौन?

प्रदेश की राजनीति के सबसे बड़े सवाल पर भाजपा अब तक संभल कर जवाब देती नजर आई है। एमपी में सबसे लंबे समय तक भाजपा के सीएम होने का रिकॉर्ड बना चुके चौहान के लिए भी राह इसबार आसान नहीं लग रही है। भाजपा नेताओं ने खुलकर चौहान के नाम का न तो ऐलान किया और न ही प्रमुखता से मंचों से उठाया। एक पत्रकार के सवाल पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि सीएम कौन होगा यह पार्टी तय करेगी।

सिंधिया कैंप का क्या?

खबरें आती रही हैं कि पार्टी में सिंधिया कैंप के नेताओं और पुराने नेताओं के बीच तनाव चलता रहता है। हालांकि, इसपर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा गया। भाजपा के बड़े नेता रहे और पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। सिंधिया कैंप को लेकर अपनी नाराजगी वह जाहिर कर चुके हैं।

इस बार पार्टी ने सिंधिया के 20 करीबियों को टिकट दिए हैं। कहा जा रहा है कि इसकी वजह बगावत पर अंकुश लगाना है। इसके जरिए पार्टी निर्दलीय उम्मीदवारों के तौर पर इन नेताओं के उतरने और वोट कटने की संभावनाओं को खत्म करना चाह रही है। अटकलें ये भी हैं कि खुद सिंधिया भी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।

बड़े चेहरों पर दांव

एमपी में भाजपा की दूसरी सूची जारी होते ही चर्चाएं तेज हो गई थीं। इसकी बड़ी वजह कई दिग्गजों की एंट्री थी। लिस्ट में विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते समेत तीन सांसदों को टिकट दिया है। इनमें कुछ नाम तो ऐसे हैं, जो 10 सालों के बाद विधानसभा के मैदान में उतरे हैं। कहा जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने नेताओं को साफ कह दिया है कि कार्यकर्ता के तौर पर काम करें और विमान में घूमना भूल जाएं।

सत्ता विरोधी लहर का सामना कैसे?

18 सालों से राज्य में भाजपा का शासन है। इतने लंबे समय तक सत्ता में होने के बाद भाजपा को 2018 में कांग्रेस ने बड़ा झटका दे दिया था। हालांकि, अंतर कुछ सीटों का ही था, लेकिन ‘मामा’ के तौर पर मशहूर सीएम चौहान की सालों की अविजित पारी पर करीब डेढ़ सालों के लिए विराम लग गया था।

खबरें हैं कि पार्टी राज्य में सिर्फ सीएम चौहान को ही चुनावी कमान देना नहीं चाह रही। साथ ही सीएम के तौर पर भी उनके नाम का ऐलान नहीं किया गया है। भाजपा ने तैयारियों के लिए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और धर्मेंद्र प्रधान जैसे नेताओं को चुना है।

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