Theology धर्मशास्त्र विधि विधान के बिना पूजा का पुण्य फल नहीं मिलता है – अमी पूर्णा श्री जी महाराज साहब, Good 1
Theology धर्मशास्त्र विधि विधान के बिना पूजा का पुण्य फल नहीं मिलता है – अमी पूर्णा श्री जी महाराज साहब
नीमच। Theology धर्मशास्त्र विधि विधान के बिना पूजा का पुण्य फल नहीं मिलता है – अमी पूर्णा श्री जी महाराज साहब। धर्मशास्त्र के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए विधि विधान से यदि पूजा पाठ नहीं करे तो उसका फल नहीं मिलता है। जिस प्रकार छोटा बच्चा शिशु कोमल होता है उसी प्रकार परमात्मा की प्रतिमा भी कोमल होती है इसलिए सावधानी पूर्वक प्रतिमा पर पूजा अर्चना करना चाहिए। केसर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। चंदन से ही पूजा अर्चना करनी चाहिए।यह बात साध्वी अमी दर्शा श्रीजी महारासा की शिष्या अमी पूर्णा श्री जी महाराज साहब ने कहीं।
वे श्रीजैन श्वेतांबर भीडभांजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट नीमच के तत्वाधान में पुस्तक बाजार स्थित नवीन आराधना भवन में आयोजित धर्म प्रवचन सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि परमात्मा की आज्ञा की पालना किए बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। महावीर ने हजारों वर्ष तपस्या कर जो सिद्धांत धर्म शास्त्रों में उल्लेख किए हैं उनका पालन जीव दया के साथ जीवन में करें तो आत्मा का कल्याण हो सकता है।
इस अवसर पर रतलाम से पधारी धार्मिक मोटिवेशनल स्पीकर प्रवीणा सेठिया ने कहा कि यदि हमारी परमात्मा के प्रति श्रद्धा और विश्वास है तो हमारी प्रार्थना परमात्मा सुनते हैं। हमारा कल्याण परमात्मा करते हैं तो हमें भी परमात्मा मंदिर समाज देश के प्रति हमारे कर्तव्य का निर्वहन भली-भांति निष्ठा के साथ करना चाहिए। समाज के प्रति हम सबके जिम्मेदारी है कि समाज के किसी भी वर्ग को दुख नहीं हो। जिन शासन एक सजग प्रहरी के रूप में समाज की रक्षा करता है।
हम सब अपनी जिंदगी में व्यस्त रहते हैं। जिन शासन की रक्षा कौन करेगा। परमात्मा का जिन शासन मेरा अपना है यह समझकर सभी को अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्माण करना चाहिए तभी हमारे जिन शासन की सुरक्षा हो सकती है। 21000 वर्ष पूर्व महावीर स्वामी ने संसार को यह संदेश सिखा दिया कि शुभ कर्म करेंगे तो पुण्य फल मिलेगा। प्रकृति में रहने वाले जीवों पर दया करेंगे तो हमारा भी पुण्य फल बढेगा। संसार में जीवन जीते हुए हमारा पुरुषार्थ सौभाग्य और दुर्भाग्य तीनों ही अपना काम करते हैं।
लेकिन हमारा सौभाग्य जब कार्य करता है जब हमारा पुण्य मजबूत हो इसलिए हमें सदैव पुण्य कर्म करते रहना चाहिए। मन वचन काया से शांति का पालन करने से जिनवाणी के प्रताप से हमारे सामने आश्चर्यजनक चमत्कार सामने आते हैं। हम सदैव ऐसी वाणी बोले कि किसी का दुर्भाग्य नहीं बने। प्राणी मातृ की रक्षा के लिए सदैव निरंतर प्रयास करें तभी हमारा पुण्य होगा। इस अवसर पर श्री संघ पदाधिकारीयों द्वारा धार्मिक मोटिवेशनल स्पीकर प्रवीणा सेठिया का साल श्रीफल मोती माला से सम्मान किया गया।
Theology : Without religious rituals, one does not get the virtuous results of worship – Ami Purna Shri Ji Maharaj Saheb
Neemuch. If the puja is not performed as per the rituals keeping in mind the principles of theology, then it does not yield any results. Just as a small child is soft, similarly the idol of God is also soft, hence one should worship the idol carefully. Saffron should not be used. Worship should be done with sandalwood only. This was said by Sadhvi Ami Purna, disciple of Shriji Maharasa and Shri Ji Maharaj Sahib.
She was speaking at the religious discourse meeting organized at Naveen Aradhana Bhawan located in Book Market under the aegis of Sri Jain Shwetambar Bhidbhanjan Parshvanath Temple Trust, Neemuch. He said that without obeying the orders of God, there is no welfare of the soul. If Mahavir, after performing penance for thousands of years, follows the principles mentioned in the religious scriptures in life with kindness to living beings, then the soul can get welfare.
On this occasion, religious motivational speaker Praveena Sethia, who came from Ratlam, said that if we have faith and belief in God, then God listens to our prayers. If God does our welfare, then we should also discharge our duty towards God, temple, society and country with full devotion. It is the responsibility of all of us towards the society that no section of the society should suffer. Jin rules as a vigilant sentinel protecting the society.
We all remain busy in our lives. Who will protect Jina rule? Everyone should develop their moral responsibility by understanding that God’s Jina rule is my own, only then can our Jina rule be protected. 21000 years ago, Mahavir Swami taught the world the message that if you do good deeds, you will get virtuous results. If we are kind to the creatures living in nature, our virtuous results will also increase. While living life in this world, our efforts, good fortune and misfortune, all three do their work.
But our good fortune works when our virtue is strong, hence we should always keep doing virtuous deeds. By maintaining peace in mind, speech and body, amazing miracles are revealed to us due to the glory of speech. We should always speak in such a way that it does not cause misfortune to anyone. We will be blessed only if we always make continuous efforts to protect the mother creatures. On this occasion, religious motivational speaker Praveena Sethia was honored with Sal Shriphal Moti Mala by Shri Sangh officials.
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