Earth जब जब धरती पर पाप बढ़ते हैं। महापुरुष अवतार लेते हैं- पंकज कृष्ण महाराज, श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवाहित, Good News 1
Earth जब जब धरती पर पाप बढ़ते हैं। महापुरुष अवतार लेते हैं- पंकज कृष्ण महाराज, श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवाहित,
नीमच। Earth जब जब धरती पर पाप बढ़ता है तब तब महापुरुष अवतार लेते हैं। हरि अनंत हरि कथा अनंत होती है। इसलिए सदैव पाप पुण्य में अंतर करना सीखना चाहिए और सदैव पुण्य कर्म करते रहना चाहिए। पाप से सदैव बचना चाहिए झूठ कभी नहीं बोलना चाहिए। सदैव सत्य बोलना चाहिए। यह बात भगवताचार्य पंकज कृष्ण महाराज ने कही। वे इन्दिरा नगर स्थित शनि मंदिर परिसर नीमच पर आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि 7 दिन तक श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा श्रवण करने से राजा परीक्षित को मुक्ति मिल गई थी। युवा वर्ग परमात्मा की भक्ति में समर्पण भाव से लीन हो और मन के भाव पवित्र रखे तो ही सच्ची साधना हो सकती है और सच्ची साधना से ही आत्मा का कल्याण होता है। शुकदेव मुनि ने माता के गर्भ में 12 वर्ष तक तपस्या की थी। परमात्मा के साक्षात दर्शन कर लिए थे। राजा परीक्षित संसार में एकमात्र व्यक्ति थे जिन्हें 7 दिन पहले मृत्यु का आभास हो गया था।
इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती हैं कि मनुष्य भौतिक संसार में उलझा हुआ है सत्संग के लिए समय नहीं निकाल पा रहा है। मनुष्य के जन्म के साथ ही मृत्यु निश्चित हो जाती है इसलिए मनुष्य को जीवन पर्यंत परमार्थ के लिए पुण्य कर्म का पुरुषार्थ करना चाहिए।आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं होता है। भाई -भाई में प्रेम होता है तो घर में रामायण का वास होता है। भाई- भाई में विवाद हो तो घर में महाभारत हो सकती है।
समस्या का निराकरण के लिए उसके विशेषज्ञों से मिलना चाहिएऔर फिर भी समस्या का निराकरण नहीं हो तो धर्म की शरण में भक्ति तपस्या करना चाहिए । इससे संसार की बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा को एक आसन पर ही बैठकर श्रवण करना चाहिए तभी भागवत ज्ञान गंगा की सिद्धि प्राप्त होती है।
मनुष्य को संसार में रहते हुए पुण्य कर्म करना चाहिए फल की इच्छा नहीं रखना चाहिए। क्योंकि जो व्यक्ति पुण्य कर्म करता है उसे बिना मांगे ही मोती मिल जाते हैं और जो अच्छे कर्म नहीं करता है पाप कर्म करता है उससे मांगने से भी भीख नहीं मिलती है इसलिए हमें सदैव सत्य बोलना चाहिए।
भागवत ज्ञान गंगा श्रवण से मन को शांति तथा संतोष का सुख मिलता है जो संसार में कहीं नहीं मिलता है। सच्चा संत वही होता है जो सिर्फ अन्न का दान ही मांगता है अन्य दान नहीं लेता है।मन में दया भाव नहीं है और दान करते हैं तो वह सार्थक नहीं होता है इसलिए मन में दया भाव भी रखना चाहिए।
श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी मनुष्य का मार्गदर्शन प्रदान करती है। युवा वर्ग गोकर्ण देव पार्षद संवाद के चरित्र हमें यह शिक्षा मिलती है कि सिर्फ कथा को सुनने से नहीं कथा को ग्रहण कर जीवन में आत्मसात करने से ही आत्मा कल्याण हो सकता है। मनुष्य जीवन में यदि सफलता प्राप्त करनी है तो प्रतिदिन राम नाम का जाप करना चाहिए।
सदैव सत्य बोलना चाहिए। ।द्रोपति ने अपने पांच पुत्रों की हत्या करने वाले अश्वत्थामा को इसलिए क्षमा कर दिया कि अश्वथामा की माता गुरु माता को उनकी मृत्यु का दुख सहन नहीं करना पड़े क्योंकि जो दुःख द्रोपति ने अपने पुत्रों की मृत्यु के बाद सहन किया था।भगवान सामने हो तो प्रतिशोध की भावना समाप्त हो जाती है।
इसलिए उन्होंने अश्वथामा को क्षमा करने का निर्णय लिया । सत्य कभी नष्ट नहीं होता है। सत्य समान कोई दूसरा धर्म नहीं होता है। भक्त प्रहलाद के जीवन से हमें शिक्षा मिलती है कि यदि हम भक्ति में जीवन जीते हैं तो बचाने वाला भगवान होता है।जिसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं उसको दुनिया की कोई शक्ति मार नहीं सकती है।
सत्य,तपस्या, दया ,दान कलियुग में धर्म के चार पैर होते हैं।सत्संग कम समय के लिए मिले वह भी ग्रहण करें एक पल का सत्संग भी जीवन को परिवर्तन कर सकता है एक पल का कुसंग भी जीवन को विनाश करवा सकता है। जुआ खेलते हैं वहां कभी नहीं जाना चाहिए। हमेशा नुकसान होता है।
इसलिए सदैव सत्संग सुनना चाहिए। इस पर हमें विचार करना चाहिए। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में भागवताचार्य द्वारा विदुर, हिरणाकश्यप, हिर्नाक्ष, प्रहलाद, सनत कुमार, उत्तानपाद, देवहूति, प्रियव्रत, नरसिंह अवतार, अदिति, दिति, शतरूपा आदि विषयों के महत्व पर वर्तमान परिपेक्ष में प्रकाश डाला।
श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम4 बजे, 30 दिसंबर तक श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवाहित हो रही है।
श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में भागवत पोथी पूजन के बाद महा आरती की गई। महाआरती में इन्दिरा नगर, नीमच सिटी आदि क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
वामन भगवान बने आस्था के केंद्र
भागवत कथा के मध्य जब महाराज श्री ने वामन अवतार का प्रसंग बताया तो भक्ति पंडाल में वामन का अभिनय किए हुए 8 वर्षीय नन्हे बालक गोविद दवे ने प्रवेश किया और श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया और वामन अवतार सभी के आकर्षण का केंद्र बने। वामन अवतार की सभी ने पूजा अर्चना कर पुष्प अर्पित किए।
श्रीमद् भागवत में कृष्ण जन्म आज
श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के मध्य आज बुधवार को पंकज कृष्ण महाराज श्री कृष्ण जन्म प्रसंग के महत्व पर प्रकाश डालेंगे। इस अवसर पर श्री कृष्ण की झांकी भी सजाई जाएगी। माखन मिश्री का प्रसाद वितरण किया जाएगा। इस अवसर पर कार्यक्रम में विहिप जिला अध्यक्ष सतनारायण पाटीदार, जिला मंत्री लक्ष्मण राठौर, बजरंग दल ,गौ रक्षा सेवा संघ ,दुर्गा वाहिनी के पदाधिकारी सदस्य अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे।
Whenever sins increase on earth. Great men take incarnation – Pankaj Krishna Maharaj, Shrimad Bhagwat Gyan Ganga flows,
Neemuch: Whenever sin increases on earth, great men incarnate. Hari Anant Hari story is infinite. Therefore, one should always learn to differentiate between virtue and sin and always keep doing virtuous deeds. One should always avoid sin and should never tell lies. One should always speak the truth. Bhagwatcharya Pankaj Krishna Maharaj said this. He was speaking at Shrimad Bhagwat Gyan Ganga organized at Shani Mandir complex in Indira Nagar, Neemuch.
He said that King Parikshit got salvation by listening to Shrimad Bhagwat Gyan Ganga for 7 days. Only if the youth is immersed in the devotion of God with dedication and keeps the feelings of the mind pure, true sadhana can be achieved and only through true sadhana There is welfare of the soul. Shukdev Muni had performed penance for 12 years in his mother’s womb. Had seen God personally. King Parikshit was the only person in the world who foresaw death 7 days in advance.
From this incident we learn that man is entangled in the material world and is unable to find time for satsang. Death becomes certain as soon as a man is born, hence man should strive to perform virtuous deeds for the sake of altruism throughout his life. .Suicide is not the solution to any problem. If there is love between brothers then Ramayana resides in the house. If there is dispute between brothers then Mahabharata can happen in the house.
To solve the problem, one should meet its experts and if the problem is still not solved then one should do devotional penance in the shelter of religion. With this, even the biggest problems of the world can be solved. Shrimad Bhagwat Gyan Ganga should be listened to while sitting on a seat, only then the accomplishment of Bhagwat Gyan Ganga is achieved.
A man should do virtuous deeds while living in this world and should not desire for the results. Because the person who does virtuous deeds gets pearls without even asking and the one who does not do good deeds and commits sinful deeds, he does not get alms even after asking, hence we should always speak the truth.
Listening to Bhagwat Gyan Ganga gives peace and satisfaction to the mind which is not found anywhere in the world. A true saint is the one who only asks for donation of food and does not accept any other donation. There is no sense of compassion in the mind and if we donate, it is not meaningful, hence one should also have a sense of compassion in the mind.
Shrimad Bhagwat Gyan Ganga provides guidance to man both during life and after life. The character of youth group Gokarna Dev Parshad Samvad teaches us that not only by listening to the story but only by accepting the story and assimilating it in life, the welfare of the soul can be achieved. If you want to achieve success in human life then you should chant the name of Ram daily.
One should always speak the truth. Draupathi forgave Ashwatthama, who killed his five sons, so that Ashwatthama’s mother, Guru Mata, did not have to bear the sorrow of his death because Draupathi had endured the same sorrow after the death of his sons. If God were in front of him, The feeling of vengeance ends. Therefore he decided to forgive Ashwathama. Truth is never destroyed. There is no other religion equal to truth. From the life of devotee Prahlad, we learn that if we live a life of devotion then God is our savior. No power of the world can kill the one who is protected by God himself.
Truth, penance, mercy and charity are the four legs of religion in Kaliyuga. Even if you get satsang for a short period, accept it. Even a moment’s satsang can transform your life. Even a moment’s mischief can destroy your life. One should never go there to gamble. There is always loss.
That is why one should always listen to satsang. We should think about this. In Shrimad Bhagwat Gyan Ganga, Bhagwatcharya threw light on the importance of subjects like Vidur, Hiranyakashyap, Hiranaksh, Prahlad, Sanat Kumar, Uttanpad, Devahuti, Priyavrat, Narasimha Avtaar, Aditi, Diti, Shatarupa etc. in the present context.
Shrimad Bhagwat Gyan Ganga: Shrimad Bhagwat Gyan Ganga is flowing every day from 1 pm to 4 pm, till 30th December. Maha Aarti was performed after worshiping Bhagwat Pothi in Shrimad Bhagwat Gyan Ganga. A large number of people from Indira Nagar, Neemuch City etc. areas were present in the Maha Aarti.
Lord Vaman became the center of faith
In the middle of Bhagwat Katha, when Maharaj Shri narrated the incident of Vaman Avatar, 8 year old little boy Govid Dave entered the Bhakti Pandal playing the role of Vaman and was welcomed by the devotees by showering flowers and Vaman Avatar became the center of everyone’s attraction. Everyone worshiped Vaman Avatar and offered flowers.
Krishna’s birth today in Srimad Bhagwat
Pankaj Krishna Maharaj will throw light on the importance of Shri Krishna’s birth incident today on Wednesday in the midst of Shrimad Bhagwat Gyan Ganga. The tableau of Shri Krishna will also be decorated on this occasion. Prasad of Makhan Mishri will be distributed.
On this occasion, VHP District President Satnarayan Patidar, District Minister Laxman Rathore, officials members of Bajrang Dal, Cow Raksha Seva Sangh, Durga Vahini will be present as guests in the program.
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