वीडियो न्यूज़: महज 50 घंटे में खबर का धमाकेदार असर: धानुका सोया पर दौड़ी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम, खुले में मिला दूषित पानी, कई गंभीर खामियां उजागर

महज 50 घंटे में खबर का धमाकेदार असर:
धानुका सोया पर दौड़ी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम, खुले में मिला दूषित पानी, कई गंभीर खामियां उजागर
ऐश्वर्य शर्मा (पवन)
नीमच। जमुनिया कला स्थित धानुका सोया प्लांट की पोल खोलती ग्राउंड जीरो रिपोर्ट के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। जहां फैक्ट्री द्वारा जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) सिस्टम के अनुपालन के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे, वहीं ज़मीनी हकीकत बिल्कुल उलट निकली। गांव के खेतों में फैलते प्रदूषण, बदबूदार केमिकल मिश्रित पानी और दूषित होते कुओं की पीड़ा बताती ग्रामीणों की आवाज़ आखिरकार शासन-प्रशासन तक पहुंच गई।
खबर प्रसारित होने के बाद महज 50 घंटे के भीतर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड उज्जैन की तीन सदस्यीय टीम—वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रद्युम्न खरे, वैज्ञानिक हरिशंकर शर्मा और सैंपलिंगकर्ता मुकुट सिंह—आज दोपहर अचानक जमुनियाकला पहुँची। टीम ने फैक्ट्री परिसर, आसपास के खेतों, नालों, तालाब और ग्रामीणों के खुले कुओं का व्यापक निरीक्षण किया। जांच दल ने दूषित पानी की तेज गंध, काली परत और केमिकल मिश्रण के चलते कई स्थानों को ‘संदिग्ध’ चिह्नित कर यहां से नमूने लिए और उन्हें जांच के लिए उज्जैन स्थित प्रयोगशाला भेज दिया।
निरीक्षण के दौरान टीम को फैक्ट्री की स्वामित्व वाली जमीन पर खुले में जमा हुआ गंदा पानी भी मिला। एक स्थान पर भारी मात्रा में डिस्चार्ज के इम्प्रैशन (flow marks) स्पष्ट दिखाई दिए, जो ZLD सिस्टम की वास्तविक स्थिति पर बड़ा सवाल खड़ा करते हैं। नियमों में जहाँ पानी के रिसाइकिल्ड उपयोग का दावा किया जाता है, वहीं वास्तविकता में फैक्ट्री के बाहर नाले में रासायनिक मिश्रित गंदा पानी बहता पाया गया—जो खेतों और भूजल पर गंभीर असर डाल रहा है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं लैब हेड प्रद्युम्न खरे ने बताया कि—
“मीडिया रिपोर्टों और ग्रामीणों की शिकायतों के आधार पर क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा एक 3 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। आज हमने फैक्ट्री के अंदर और प्रभावित बाहरी क्षेत्र का सघन निरीक्षण किया। कई स्थानों पर खामियां मिली हैं। फैक्ट्री भूमि पर खुले में भरा दूषित पानी मिला है। ग्रीन स्पेस डेवलपमेंट में प्लांटेशन भी नहीं पाया गया है। सभी बिंदु रिपोर्ट में दर्ज कर मुख्यालय को भेजे जाएंगे। आगे की कार्रवाई मुख्यालय द्वारा तय की जाएगी।”
स्थानीय किसानों ने जांच टीम को बताया कि फैक्ट्री का दूषित पानी उनके खेतों की फसलों को नुकसान पहुँचा रहा है, वहीं कुओं का पानी भी पीने लायक नहीं बचा। कई किसानों ने आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ और पशुओं के बीमार होने जैसी समस्याओं की जानकारी भी दी।
इस कार्रवाई के बाद ग्रामीणों में उम्मीद जगी है कि वर्षों से जारी पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर अब कुछ कार्यवाही तो हुई।
जमुनियाकला के नवीन खारोल ने बताया कि धानुका प्लांट लगने के बाद से हम गांववासी इसके प्रदूषण से बेहद परेशान है, मीडिया के सकारात्मक सहयोग से आज पहली बार यहां जांच टीम आई है।




