रामपुरा महाविद्यालय के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय साहसिक शिविर के अंतर्गत रोमांचक वॉटर स्पोर्ट्स गतिविधियाँ सम्पन्न*

*पोंगडैम हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय साहसिक शिविर के अंतर्गत रोमांचक वॉटर स्पोर्ट्स गतिविधियाँ सम्पन्न
अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स, पोंग डैम (हिमाचल प्रदेश) में आयोजित दस दिवसीय राष्ट्रीय साहसिक शिविर में मध्यप्रदेश के सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन एवं महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर के रासेयो स्वयंसेवकों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।
इस संपूर्ण दल का नेतृत्व एवं मार्गदर्शन शासकीय महाविद्यालय रामपुरा, जिला नीमच के कार्यक्रम अधिकारी एवं दल प्रभारी डॉ. भरत कुमार धनगर द्वारा किया गया, जिनके नेतृत्व में दोनों विश्वविद्यालयों के स्वयंसेवकों ने सभी साहसिक गतिविधियों में अनुशासन, साहस और टीमवर्क का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
शिविर में कयाकिंग, कैनोइंग, राफ्टिंग, सर्फिंग, रोइंग सहित विभिन्न जल क्रीड़ा गतिविधियों का प्रशिक्षण विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा प्रदान किया गया। प्रतिभागियों को जल सुरक्षा, प्राथमिक उपचार एवं आपात बचाव तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त हुआ।
इस सफल आयोजन में क्षेत्रीय निदेशक श्री अशोक कुमार श्रोती, युवा अधिकारी डॉ. राजकुमार वर्मा, राज्य रासेयो अधिकारी डॉ. मनोज कुमार अग्निहोत्री, सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. शेखर मैदमवार तथा महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर के कार्यक्रम समन्वयक श्री अरुण चौरसिया का मार्गदर्शन महत्वपूर्ण रहा।
साहसिक शिविर की इस यात्रा में संस्कार चौरसिया, हरिओम जौहर, ज्योति सोनी, ऋषिका तिवारी, दिव्या माली, बाबू आदिवासी, गंगा गौड, गुलाबसा बानो, निशिध श्रीमाल एवं हर्ष प्रसाद — सभी ने शिविर में साहस, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता का प्रेरक परिचय दिया।

दल प्रभारी डॉ. भरत कुमार धनगर ने बताया कि यह अनुभव स्वयंसेवकों के व्यक्तित्व विकास, आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और साहसिक दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण दिशा प्रदान करेगा। समापन अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए और उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की गई।
यह राष्ट्रीय साहसिक शिविर युवाओं के शारीरिक-मानसिक विकास, अनुशासन, पर्यावरण संरक्षण और देश सेवा की भावना को प्रोत्साहित करने वाला अविस्मरणीय अवसर साबित हुआ। स्वयंसेवकों ने इसे अपने जीवन की एक बड़ी उपलब्धि बताया।





