बात कुछ हजम नही हुई….
पूर्व गृह मंत्रीजी का नामांकन फॉर्म कैसे निरस्त हुआ, कहीं आधे अधूरे मन से तो नही भरा था… या मजबूरी में भरा था… !
(पवन शर्मा: 9407423966)
किसी जमाने मे मालवा के राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले पूर्व गृह मंत्री कैलाश चावला जी का निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए फॉर्म भरना और उसके बाद फॉर्म में त्रुटि होने की वजह से निरस्त हो जाना यह बात लोगों को हजम नही हो रही है। फॉर्म कैसे निरस्त हुआ, कहीं आधे अधूरे मन से तो नही भरा था… या मजबूरी में भरा था…
मंझे हुए राजनीति के उस्ताद का फॉर्म निरस्त होना कई सवाल खड़े कर रहा है। पूर्व में दर्जनों बार श्री चावला ने अधिकृत उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था पर एक बार भी निरस्त नही हुआ।
इस बार फॉर्म भरने वालों ने आखिर किस जल्द बाजी में फॉर्म भरा था। कहीं यह सोची समझी रणनीति तो नही थी, या सिर्फ दिखावे के उद्देश्य से ऐसा किया गया था। क्योंकि कोई अनाड़ी का फॉर्म निरस्त हो तो समझ मे आता है पर पुराने खिलाड़ी के फॉर्म निरस्त होना समझ से परे है।
मारू द्वारा लटकाई गई गाजर को लपकने के लालच में तीन तिलंगे भयानक जंगल मे भटक गए। लेकिन मारू तो मारू है, अच्छे अच्छे खिलंदड़ो को धूल चटाने का जबरदस्त अनुभव है। बस यही ये तीनो गच्चा कहा गए। गाजर का मुंह मे आने का इंतजार करते रहे। पर ये क्या….. गाजर तो काल्पनिक थी, अब मुह में आएगा क्या…. बाल? बेचारे तिलंगे सिर धुनते रह गए। अब करे तो करें क्या? तेरे कूँचे से बे-आबरू होकर निकले। ना माल मिला ना बोटी, चल उठा गठरी बांध लंगोटी। ये खेल हुआ!
लोगों की माने तो चावला जी अंत तक उम्मीद में थे कि पार्टी 26 तक शक्ति प्रदर्शन के बाद निर्णय बदल लेगी पर पार्टी ने मारू पर पूरा भरोसा जताया और टिकट नही बदला। शायद यही बड़ा कारण रहा कि फॉर्म में त्रुटि रखने से निरस्त हो गया!
वहीं दूसरी तरफ मारू ने 30 तारिक को बड़ा जनसैलाब लाकर सबके पेशानी पर पसीने ला दिए।
यहीं नही मनासा क्षेत्र के लोगों का बाहरी लोगों के बहिष्कार का मन बनता दिख रहा है।