ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम की बाते सिर्फ कागजों तक सीमित, जमुनिया कला में धानुका प्लांट से बढ़ता प्रदूषण, किसानों की फसल और कुएँ का पानी दूषित, ग्रामीणों का गंभीर आरोप

ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम की बाते सिर्फ कागजों तक सीमित,

जमुनिया कला में धानुका प्लांट से बढ़ता प्रदूषण, किसानों की फसल और कुएँ का पानी दूषित, ग्रामीणों का गंभीर आरोप

नीमच। नीमच जिले के मोरवन में स्थानीय लोगों द्वारा जिस तरह से सुविधि रियांस कपड़ा फैक्ट्री के लगने के बाद भविष्य में फैक्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी से डेम का पानी भी दूषित होने की बात कही जा रही है। वहीं सुविधि रियांस फैक्ट्री संचालक और MPIDC के जिम्मेदारों द्वारा लगातार जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम लगाने की बात कही जा रही है, लेकिन वहीं दूसरी और जिले के जमुनियाकला स्थित धानुका फैक्ट्री सहित अन्य फ़ैक्टरियों में सभी तरह के दावे और नियम सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गए है।

जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्रक्रिया की धज्जियां कैसे उड़ रही है उसका उदाहरण धानुका प्लांट में देखने को मिलता है।
नीमच जिले के जमुनिया कला क्षेत्र में संचालित धानुका बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्लांट पर लगातार गंभीर पर्यावरणीय आरोप लग रहे हैं। ग्रामीणों और किसानों ने दावा किया है कि फैक्ट्री से निकलने वाला रासायनिक मिश्रित और गंदा पानी सीधे खेतों और खुले क्षेत्रों में छोड़ा जा रहा है, जिससे खेती, मिट्टी तथा पीने लायक पानी सभी प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नियमों के नाम पर फैक्ट्री प्रबंधन केवल कागजों में अनुपालन दिखा रहा है, जबकि जमीन पर स्थिति इसके बिल्कुल उलट है।

ग्रामीणों का कहना है कि धानुका प्रबंधन और जिम्मेदार विभाग हर बार दावा करते हैं कि फैक्ट्री में Zero Liquid Discharge (ZLD) सिस्टम लागू है, जिससे प्रदूषित पानी बाहर नहीं निकलता। लेकिन ग्रामीणों के अनुसार यह दावा केवल कागजों में दर्ज है, जबकि हकीकत यह है कि प्लांट के किनारे खुले में गंदा पानी बहता हुआ देखा जा सकता है। किसानों ने इसे पर्यावरणीय नियमों की खुली अनदेखी बताया।

ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन जब तक कार्रवाई नहीं होती, तब तक समस्या बढ़ती रहेगी। किसानों का आरोप है कि फैक्ट्री प्रबंधन पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी कर रहा है, और इसका सीधा खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

फैक्ट्री से लगे खेत के किसान पन्नालाल ने बताया कि प्लांट के पास से बहने वाला दूषित और बदबूदार केमिकलयुक्त पानी उनकी फसल को लगातार नुकसान पहुँचा रहा है। उन्होंने कहा कि खेतों के बीच स्थित कुएँ से मिलने वाला पानी अब पीने या सिंचाई के योग्य नहीं रह गया है। “किसी भी सरकारी विभाग ने आकर वास्तविक जांच नहीं की। फैक्ट्री से निकलने वाला पानी सीधा हमारी जमीन और कुएँ के पानी को खराब कर रहा है।

 

गांव के ही नवीन खारोल ने कहा कि धानुका प्लांट का गंदा पानी सिर्फ खेतों को ही नहीं, बल्कि हवा और भूजल दोनों को प्रदूषित कर रहा है। उन्होंने बताया कि आसपास के कुओं में पानी का रंग और गंध बदल गई है। इस पानी को पीने से डर लगता है। फसलें कमजोर हो रही हैं, अभी तक फैक्ट्री के मालिक द्वारा गांव की कोई सुध नही ली गई।

इस मामले में नीमच जिला प्रशासन ने भी संज्ञान लिया है। कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने कहा कि उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और MPIDC के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे जिले की सभी औद्योगिक इकाइयों की प्रदूषण संबंधी जांच करें और वास्तविक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। कलेक्टर ने कहा, जमुनिया कला स्थित धानुका प्लांट की भी विस्तृत जांच करवाई जाएगी। यदि किसी भी प्रकार का पर्यावरणीय नियम उल्लंघन पाया जाता है, तो संबंधित इकाई पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम की बाते सिर्फ कागजों तक सीमित, जमुनिया कला में धानुका प्लांट से बढ़ता प्रदूषण, किसानों की फसल और कुएँ का पानी दूषित, ग्रामीणों का गंभीर आरोप

वहीं मप्र पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड आरओ उज्जैन दीपक काले ने बताया कि आपके द्वारा जो धानुका के प्लांट के ज़ीरो डिस्चार्ज सिस्टम व जहरीले धुंवे और CEMS की बात संज्ञान में लाई गई है, जल्द ही एक जाँच दल नीमच भेजा जाएगा, जाँच दल सारे बिंदुओं का बारीकी से जांच कर रिपोर्ट देगा। यदि गंदा पानी खुले में छोड़ा जा रहा है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

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