नीमच

ज्ञान ध्यान की एकाग्रता व्यक्ति को महान बना देती है- प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी म. सा.

ज्ञान ध्यान की एकाग्रता व्यक्ति को महान बना देती है- प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी म. सा.

नीमच। हम जीव दया के ज्ञान को समझेंगे तभी तो पाप कर्म कम करेंगे। समयक ज्ञान नहीं होगा तो विचारों का भान नहीं होगा। कौन सा कर्म हमें करना चाहिए या नहीं इस बात का हमें ज्ञान धर्म शास्त्र से ही मिलेगा। ज्ञान ध्यान की एकाग्रता व्यक्ति को महान बना देती है। संगत का प्रभाव मनुष्य के जीवन को परिवर्तन कर देता है। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार शेर का बच्चा यदि बकरी के बच्चों की संगत में रहेगा तो वह भी बकरी जैसा स्वभाव का हो जाएगा।इसलिए हम भी पाप कर्मों को छोड़कर पुण्य कर्मों की संगत करें तो हमें भी पुण्य कर्म का फल मिलेगा और हमारे जीवन का कल्याण होगा हम अपने आप को पहचाने धर्म ज्ञान का चिंतन करें तभी आत्मा का कल्याण होगा।

साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि परमात्मा की वाणी में शक्ति होती है। परमात्मा की वाणी को सुनने के लिए उच्च नीच जाति पाति का भेदभाव नहीं होता है। किसी भी प्रकार की छुआछूत नहीं रहती है। धर्म ज्ञान ग्रहण करने के लिए कोई जाति का दायरा नहीं होता है इसे कोई भी किसी भी उम्र में प्राप्त कर सकता है और अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है। आगरा में एक बार चातुर्मास के दौरान उपाध्यक्ष अमर मुनि जी महाराज साहब ने वहां के अनेक अग्रवाल समाज के लोगों को जैन बनने की प्रेरणा दी थी और प्रवचन में भक्तों को कहा कि यह लोहा मंडी नहीं अब सोना मंडी बन गई है। धर्म का ज्ञान व्यक्ति को लोहे से सोना बना देता है।
तपस्या उपवास के साथ नवकार महामंत्र भक्तामर पाठ वाचन ,शांति जाप एवं तप की आराधना भी हुई। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की।
धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया।

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