Nutrition Fast पोषध वृत आत्मा को पवित्र करने का साधना- अमी पूर्णा श्री जी महाराज साहब, अमृत प्रवचन श्रृंखला प्रवाहित 1
पोषध वृत आत्मा को पवित्र करने का साधना-अमी पूर्णा श्री जी महाराज साहब, अमृत प्रवचन श्रृंखला प्रवाहित
नीमच। प्रत्येक मनुष्य अपनी आत्म कल्याण करना चाहता है लेकिन वह पाप से बचता नहीं है। पोषध मौन व्रत कर व्यक्ति पाप से बच सकता है। क्यों की पोषध व्रत करने में व्यक्ति साधु की तरह नियम संयम के साथ जीवन व्यतीत करता है। संसार में होने वाले पाप से बच जाता है। और इस प्रकार आत्मा पवित्र हो जाती है। यह बात साध्वी अमी दर्शा श्रीजी महारासा की शिष्या अमी पूर्णा श्री जी महाराज साहब ने कहीं।
वे श्रीजैन श्वेतांबर भीडभांजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट नीमच के तत्वाधान में पुस्तक बाजार स्थित नवीन आराधना भवन में आयोजित धर्म प्रवचन सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा किआराधना तपस्या भक्ति चाहे महीने में एक दिन ही करें लेकिन पूरे मनोभाव मन वचन काया से करें तो उसका लाभ मिल सकता है। मार्गशीर्ष ग्यारस पर तपस्या करने का अपना अलग महत्व होता है। हम निरंतर पुण्य कर्म करते रहे तो हमें सभी सुख वैभव संपत्ति मिलती रहेगी यदि हमने पुण्य कर्म बंद कर दिया तो सुख समृद्धि मिलना भी बंद हो सकती है।
धर्म संयम नियमित करना चाहिए यदि धर्म छूटता है तो पुण्य कर्म कम होता है और पाप कर्म का उदय हो सकता है इसलिए पुण्य कर्म को निरंतर करना चाहिए ताकि पाप कर्म दूर रह सके। जैसे कर्म करेंगे वैसा ही हमें फल मिलेगा इसलिए सदैव पुण्य कर्म करते रहना चाहिए। देवगुरु धर्म पुण्य की फैक्ट्री है इसे निरंतर चलाते रहना चाहिए। धर्म के छोटे से छोटे नियम का भी पालन करेंगे तो धर्म की रक्षा होगी और धर्म की रक्षा होगी तो धर्म हमारी रक्षा करेगा।
साध्वीश्री मृदु पुर्णा श्री जी महाराज साहब ने कहा कि यदि हमारे द्वारा पुण्य कर्म का पुरुषार्थ कमजोर है तो मोक्ष कैसे मिलेगा इसलिए हमें सदैव पुण्य कर्म करते रहना चाहिए। आत्मा से पहचान होने पर ज्यादा आनंद मिलता है। भौतिक संपत्ति में व्यक्ति को आनंद ज्यादा मिलता है इसलिए वह प्रवचन को सुनकर जीवन में आत्मसात नहीं कर पाता है। जिनवाणी के उपदेशों और प्रवचन को सुनकर जीवन में आत्मसात किए बिना उसका लाभ नहीं मिलता है। धर्म सभा का संचालन भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के सचिव मनीष कोठारी ने किया।
बच्चों का धार्मिक शिविर आज से प्रारंभ,
साध्वी अमि दर्शा श्री जी महाराज साहब ने आह्वान किया ह जैन भवन में बच्चों का एक दिवसीय धार्मिक संस्कार प्रशिक्षण शिविर आज 24 दिसंबर सुबह 7बजे से आयोजित किया जा रहा है। प्रशिक्षण शिविर में
बच्चों को प्रभु दर्शन योग प्रतिक्रमण तपस्या व्रत गली निर्माण आदि विभिन्न धार्मिक संस्कारों का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
Nutrition Fast Sadhana to purify the soul – Ami Purna Shri Ji Maharaj Saheb, Amrit Sermon Series ongoing
Neemuch. Every person wants to do good for his self but he cannot avoid sin. A person can avoid sin by observing fast of silence. Because by observing Poshadha fast, a person lives his life with discipline and discipline like a saint. One is saved from the sins of the world. And in this way the soul becomes pure. This was said by Sadhvi Ami Poorna, the disciple of Shriji Maharasa, Shri Ji Maharaj Sahib.
She was speaking at the religious discourse meeting organized at Naveen Aradhana Bhawan located in Book Market under the aegis of Sri Jain Shwetambar Bhidbhanjan Parshvanath Temple Trust, Neemuch. He said that worship or penance may be done only for one day in a month but if it is done with full heart, mind, speech and body then it can be beneficial. Doing penance on Margashirsha Gyaras has its own significance. If we continue to do good deeds continuously, we will continue to get all the happiness, wealth and prosperity.
If we stop doing good deeds, we may stop getting happiness and prosperity. Dharma restraint should be done regularly. If Dharma is left then the good deeds will reduce and the sin deeds will increase. We can rise, hence we should do virtuous deeds continuously so that sinful deeds can stay away. We will get the results according to the deeds we do, hence we should always keep doing virtuous deeds. Devguru religion is a factory of virtue, it should be kept running continuously.
If we follow even small rules then religion will be protected and if religion is protected then religion will protect us. Sadhvishree Mridu Purna Shri Ji Maharaj Saheb said that if our efforts for virtuous deeds are weak then how will we attain salvation, hence we should always keep doing virtuous deeds. One gets more pleasure when identified with the soul.
A person gets more pleasure in material wealth, hence he is not able to assimilate it in life by listening to sermons. Without listening to the teachings and sermons of Jinvani and assimilating them in life, one does not get any benefit. The Dharma Sabha was conducted by Manish Kothari, Secretary of the crowd breaking Parshvanath Temple Trust.
Children’s religious camp starts from today,
Sadhvi Ami Darcha Shri Ji Maharaj Saheb has given a call to organize a one-day religious rites training camp for children at Jain Bhawan today, 24th December, from 7 am. in training camp
Children will be provided training in various religious rites like Prabhu Darshan, Yoga Pratikraman, penance, fasting, street construction etc.
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