धानुका सोया प्लांट पर PCB जांच के बाद ‘संदिग्ध सफाई’, ग्रामीण बोले— फिलहाल पहली बार रुका गंदा पानी
खबर का हुआ असर, ग्राउंड जीरो पर दिखा असर

धानुका सोया प्लांट पर PCB जांच के बाद ‘संदिग्ध सफाई’, ग्रामीण बोले— फिलहाल पहली बार रुका गंदा पानी
ऐश्वर्य शर्मा (पवन)
मालवा फर्स्ट
नीमच। जमुनियाकला धानुका सोया प्लांट की जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) प्रणाली पर उठे गंभीर सवालों के बाद पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड उज्जैन की टीम द्वारा किए गए निरीक्षण का असर अब ज़मीन पर स्पष्ट दिखने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि कई सालों बाद पहली बार फैक्ट्री से निकलने वाला बदबूदार व रासायनिक मिश्रित गंदा पानी फिलहाल तो पूरी तरह बंद हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, PCB टीम के लौटते ही फैक्ट्री प्रबंधन ने आसपास की जमीनों में जमा दूषित पानी और उस तक पहुँचने वाले मार्गों को मिटाने के लिए जेसीबी मशीनें लगवा दीं। आरोप है कि पिछले 7 दिनों में तेजी से सफाई कर उन सभी स्थानों के निशान मिटाने की कोशिश की गई, जहाँ से पहले पानी खेतों और नालों में बह रहा था। इससे यह सवाल और गहरा हो गया है कि क्या जांच शुरू होने से पहले प्लांट में वाकई ZLD प्रणाली प्रभावी रूप से काम कर रही थी?
ग्रामीणों ने बताया कि फैक्ट्री लगने के बाद से लगातार खेतों में रासायनिक पानी का बहाव होता रहा, जिससे फसलें, मिट्टी और कुएँ तक प्रभावित हुए। लेकिन PCB की जांच टीम आने के बाद अचानक डिस्चार्ज बंद होना स्वयं कई जवाब तलाशता दिख रहा है।
ग्रामीण अब इस मामले पर कड़ी निगरानी और प्रयोगशाला रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि “मूल समस्या सिर्फ पानी बंद होना नहीं, बल्कि भविष्य में फिर से प्रदूषण फैलने से रोकना है।”
PCB से जाँच रिपोर्ट आने के बाद ही प्लांट पर आगे की कार्रवाई तय होगी— ऐसा प्रशासनिक सूत्रों ने संकेत दिया है।
“अब एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर फैक्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी को कहां छोड़ा जा रहा, सूत्रों का कहना है कि जमुनियाकला स्थित प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी को टैंकरों के माध्यम से रातों रात ले जाकर खुद के खरीदे हुए बाउंडरी वॉल वाले खेतों में डाला जा रहा है।”

