प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी म. सा. धर्म पर विश्वास सत्यता का अनुभव बुरे कर्मों से बचाव ही योग्यता की कसौटी
प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी म. सा. धर्म पर विश्वास सत्यता का अनुभव बुरे कर्मों से बचाव ही योग्यता की कसौटी
नीमच। मनुष्य जीवन में धर्म पर विश्वास सत्य का अनुभव और बुरे कर्मों से बचाव होना जरूरी है। हर व्यक्ति के लिए योग्यता की यह कसौटी है। कसौटी का जीवन में बहुत महत्व होता है। कसौटी सोने की असलियत बताती है। बहुतों को योग्यता का अहंकार होता है किंतु कसौटी पर खरे उतरने वाले ही वीरले होते हैं। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में वीर पार्क रोड स्थित श्री वर्धमान जैन स्थानक जैन भवन पर आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि सत्य से सफलता मिलती है। सत्य से जो सफलता प्राप्त करता है वह सदैव बनी रहती है इसके विपरीत बुरे कर्म से सफलता तो मिल जाती है लेकिन वह अधिक दिनों तक टिकती नहीं है। हर व्यक्ति को सत्य पर विश्वास करना चाहिए क्योंकि सत्य से ही सत्य को आकर्षित किया जा सकता है। दुनिया के प्रत्येक सफल कार्यों में सत्य का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। हमें सत्य को सदैव अनुभव करना चाहिए ताकि इससे कभी दूर नहीं हो सके। सत्य के साथ बुराई से दूर रहा जा सकता है। जीवन में यदि एक भी बुरे कर्म को स्थान दिया तो उनके अनेक होने में देर नहीं लगती ।
बुराइयों से दूर रहकर सच्चाई और निष्पक्ष जीवन जीने वाला सदैव सफल होता है। चंद्रेश मुनि जी महाराज साहब ने कहा कि धार्मिक क्षेत्र में सम्यक तत्व का चिंतन करना ही श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक होता है।पांच अंगों के साथ गुरु को नमन करते हैं तो नीच गोत्र का बंधन टूटता है और उच्च गोत्र का पुण्य फल मिलता है। सुपात्र को दान दिए बिना पाप कर्मों की निर्जरा नहीं होती है।
साध्वी डॉक्टर विजया सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि गुरु हो तो गौतम स्वामी जैसा उनके सैकड़ो तपस्वी शिष्यों ने जब गौतम स्वामी की सरलता गुण के ज्ञान को समझा तो उन्हें ऐसा लगा कि जब गौतम स्वामी इतने अच्छे हैं तो उनके गुरु कैसे होंगे इस बात का चिंतन इतनी गहनता और गहराई से किया कि उन सभी तपस्वियों को केवल ज्ञान हो गया था। इस अवसर पर इसमें सभी समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया।
इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की।
धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया।