नीमचधर्म

आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी का चातुर्मास संपन्न: नीमच सिटी की ओर किया विहार Best Memories No 1

आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी का चातुर्मास संपन्न: नीमच सिटी की ओर किया विहार

नीमच। आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी का चातुर्मास संपन्न: नीमच सिटी की ओर किया विहार। नाम कर्म का अपना अतिशय होता है । आज दुनिया में भगवान नहीं है लेकिन उनके नाम से हम पहचाने जाते हैं। हमारा वजूद पहचाना जाता है ।ऐसे ही महान संत महावीर स्वामी है।,जो भी सच्ची श्रद्धा और लगन से उनके उपदेशों को आत्मसात करते हुए स्मरण करता है उसका कार्य अवश्य पूरा होता है।

आने वाली भावी पीढ़ी को अच्छा जीवन देना चाहते हैं तो उन्हें धर्म से जोडि़ए: आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी

आप अपनी संतानों को संस्कार दीजिए नवयुवकों को धर्म से जोडि़ए जो व्यक्ति ऐसा नहीं कर पाता है वह अपना भविष्य खोखला कर रहा है। आप अपने भविष्य को अमृत देना पसंद करेंगे या जहर आने वाली पीढ़ी को सुखी एवं अच्छा जीवन देना चाहते हैं तो धर्म से जोडि़ए। संतों के सानिध्य में लाईए , क्योंकि संत सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

यह बात श्री जैन श्वेतांबर वृहत तपागच्छीय त्रिस्तुतिक संघ नीमच सिटी मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे नीमच सिटी खेड़ी मोहल्ला स्थित खीर भवानी रिसोर्ट भवनघ् में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग को साधु संतों का सत्संग मिलना सौभाग्य है साधु की दृष्टि में आना महान कर्म है साधु संघ के वचन जीवन में उतरे तो जीवन में परिवर्तन आ सकते हैं। साधु की गुरुवाणी का योग दुर्लभ होता है।

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इससे हमें समझना होगा। साधु संत अब आठ माह निरंतर विहार कर प्रभु की वाणी को प्रवचन के माध्यम से घर-घर गांव गांव जाकर समाज कल्याण और समाज को सुख समृद्धि बनाने के लिए निरंतर धर्म तपस्या भक्ति पुण्य का पुरुषार्थ करते है। जिस धन के पीछे रात दिन हम दौड़ते हैं वह आत्मा के साथ नहीं आने वाला है। उस धन के कारण राग द्वेष और साथ आ जाते हैं।

जबकि हमारे आत्म कल्याण करने के लिए पुण्य कर्मों का हमारे साथ होना आवश्यक है और पुण्य कर्म धर्म तपस्या उपवास भक्ति साधु संतों की सेवा से ही आते हैं। युवा वर्ग धार्मिक भावना से जुड़कर रहे तो मन प्रफुल्लित रहेगा। मन पवित्र होता तो जीवन पवित्र होगा और आचरण भी शुद्ध होंगे धर्म के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है। इस अवसर पर श्रीमती सोनल महेंद्रचौधरी ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। आचार्य प्रसन्नचंद्र सागरजी का चातुर्मास संपन्न

धर्म सभा का संचालन महेंद्र चौधरी,सचिव पंकज सेठिया ने किया तथा आभार नीमच सिटीश्री संघ अध्यक्ष गुणवंत सेठिया ने व्यक्त किया।श्री जैन श्वेताम्बर भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा के पांच माह तक चातुर्मास संपूर्ण होने के बाद विहार सुबह 9 बजे चौक्कना बालाजी के सामने अल्फा स्कूल परिसर से विहार हुआ।

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तत्पश्चात नीमच सिटी स्थित जैन श्वेतांबर वृहत तपागच्छीय त्रिस्तुतिक श्री संघ के तत्वाधान में खेड़ी मोहल्ला स्थित खीर भवानी रिसोर्ट मेंआयोजित धर्म सभा प्रवचन मार्गदर्शन प्रदान करने पहुंचें।नवकारसी के धर्म लाभार्थी सुनीता महेंद्र भूपेंद्र चौधरी परिवार थे। विदाई विहार कार्यक्रम में समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला।उपवास, एकासना, बियासना, आयम्बिल, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है

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