84 लाख योनियों में भटकने के बाद ही मतदान का सौभाग्य मिलता है, जरूर करें मतदान – डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी
84 लाख योनियों में भटकने के बाद ही मतदान का सौभाग्य मिलता है, जरूर करें मतदान – डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी
निंबाहेड़ा। हम सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी कुछ जानकारों या विशेषज्ञों को 84 लाख योनियों के विषय में करते तो सुना ही है, कई लोगों के अनुसार 84 लाख योनियों के बाद हमें मनुष्य जीवन मिलता है। जिसके चलते मनुष्य को अच्छे कर्म कर उसका सदुपयोग करना चाहिए। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार 84 लाख योनियों का प्रमाण हमें पद्म-पुराण के एक श्लोक में मिलता है।
यह श्लोक बताता है कि इन 84 लाख योनियों में 9 लाख जलचर यानि की पानी में रहने वाले जीव-जंतु, 30 लाख पशु, 20 लाख पेड़-पौधे, 11 लाख कीड़े, 10 लाख पक्षी व 4 लाख मानवीय नस्ल है यानि कि कुल 84 योनियां हैं। परंतु ऐसा कहीं भी नहीं लिखा कि मनुष्य को दोबारा मनुष्य जीवन नहीं मिलता या फिर 84 लाख योनियों के बाद ही वापस मनुष्य जीवन मिलता है, यह तो केवल और केवल हमारे कर्मों का विषय है। अगर मनुष्य अच्छे कर्म करता है तो उसे स्वर्ग मिलता है और स्वर्ग का रास्ता मोक्ष की ओर जाता है। अगर मनुष्य बुरे कर्म करता है, तो उसे नर्क मिलता है और उसके बाद कर्मानुसार अलग-अलग योनियों मे जन्म मिलता है।
यह बात आचार्य चाण्क्य ने भी अपने एक श्लोक में कही है। जिसमें वे कहते हैं नष्ट हुआ धन फिर से प्राप्त हो सकता है, बिछड़ा हुआ मित्र फिरसे मिल सकता है, लेकिन मनुष्य जीवन एक बार नष्ट होने पर फिर से नहीं मिल सकता, मनुष्य जन्म बेहद दुर्लभ है। इसके अलावा रामचरित्रमानस में भी मनुष्य जीवन की महत्वता को दर्शाया गया है, परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि मनुष्य जीवन इतना दुर्लभ क्यों है? ऐसा इसलिए क्योंकि 84 लाख योनियों में से केवल मनुष्य के पास ही दिमाग यानि सोच समझ कर काम करने की क्षमता है, उसे अच्छे-बुरे की समझ है।
वह पाप-पुण्य में भेद कर सकता है, वह धर्म-अधर्म को जानता है, वो मानव ही है जिसे आत्मा-परमात्मा का बोध हो सकता है, वो मानव ही है जो संसार का ज्ञान हासिल कर सकता है। इसीलिए देश के सच्चे नागरिक होने का परिचय देते हुए देश हित में निश्चित रूप से मतदान करना चाहिए।