नारी को आत्म-प्रतिष्ठित होना होगा- डॉ मीनाक्षी जोशी
नारी को आत्म-प्रतिष्ठित होना होगा- डॉ मीनाक्षी जोशी
नीमच। ‘नारी एक शक्ति है, वस्तु नहीं, उसे स्वयं यह बात समझकर आत्म-प्रतिष्ठित होना होगा’ उक्त उद्गार इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज (उ.प्र.) की संस्कृत की प्राध्यापिका डॉ. मीनाक्षी जोशी ने श्री सीताराम जाजू शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नीमच में आयोजित एक विशिष्ट व्याख्यान में ‘‘वर्तमान में नारी की दशा और दिशा भारतीय ज्ञान परम्परा के संदर्भ में ’’ विषय पर बोलते हुए व्यक्त किये। इसी संदर्भ में उन्होंने अपनी उत्कृष्ट एवं प्रभावपूर्ण भाषा-शैली में छात्राओं एवं उपस्थित महाविद्यालयीन स्टॉफ को संबोधित करते हुए कहा कि नारी में स्वयं आकर्षण एवं शक्ति होती है।
उसे पुरूष क्यों बनना है? उसे अपने स्त्री होने पर गर्व होना चाहिये, वरदान मानना चाहिये। आज के औद्योगिक युग में नारी ने स्वयं को वस्तु समझ लिया है और अपने प्रकृति प्रदत्त वास्तविक गुणों को भुल गई है। स्त्री का प्रत्येक गुण उसका आभूषण है और उसकी प्रत्येक भूमिका प्रसन्ननीय है। अपनी बात को सशक्ता देते हुए उन्होंने भारतीय ऋषि परम्परा के साथ ही इतिहास में विद्यमान स्त्री चरित्रों का नामोल्लेख कर उनके कर्तृत्व पर प्रकाश डाला और छात्राओं को दिशा प्रदान करते हुए इन चरित्रों से सीख लेने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए।
कहा कि भारतीय कुटुम्ब प्रणाली में डिप्रेसन और आत्महत्या जैसी कोई समस्या नहीं थी, ये सब पाश्चात्य एवं भौतिकतावाद की ही देन है। इसलिये हमे अपनी भारतीय ज्ञान-परम्परा से जुड़कर अपने अस्तित्व को तलाशना होगा और अपनी ऊर्जा का प्रयोग स्वयं और देश के विकास में करना होगा।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एन.के. डबकरा ने अतिथि वक्ता के लिये स्वागत भाषण देते हुए विषय की प्रासंगिकता पर विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन अतिथि परिचय एवं आभार डॉ. बीना चौधरी द्वारा व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालयीन स्टॉफ के साथ बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थी।