नगर में झमाझम के बाद घास भेरुजी पहुंचे निज धाम नगर में निकली घास भेरू जी की सवारी:लोगों ने कराया नगर भ्रमण, प्रसाद चढ़ा कर रोग-कष्ट दूर करने की कामना

नगर में झमाझम के बाद घास भेरुजी पहुंचे निज धाम
नगर में निकली घास भेरू जी की सवारी:लोगों ने कराया नगर भ्रमण, प्रसाद चढ़ा कर रोग-कष्ट दूर करने की कामना
रामपुरा नगर घास भेरू की सवारी आज बड़े हर्षोल्लास के साथ निकाली गई। भोई समाज द्वारा आज भेरुजी को अपने निज स्थान बड़े बाजार पर विराजित किया गया विगत एक माह से पूरे नगर का भ्रमण कर घास भेरुजी लगभग सात स्थान पर विराम के बाद आज अपने मूल स्थान के लिए रवाना हुए रामपुरा नगर में यह परंपरा वर्षो पुरानी है लगभग एक माह तक घास भेरुजी नगर भ्रमण पर रहते हैं इस दौरान नगर में वर्षा को लेकर जो बाधा रहती है भेरू बाबजी उसे दूर करते है इस दौरान झमाझम बारिश का दौर चलता है सनातन परंपरा के अनुसार अंतिम नगर भ्रमण भोई समाज द्वारा घास भेरुजी को करवाया जाता है , जिसमें सभी समाज के लोग सैकड़ों वर्षों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। इस सवारी में, बच्चे बूढ़े जवान सभी के द्वारा भेरुजी को रस्सी से बांधकर अपने हाथों खींचा जाता है।
इस दौरान
जब सवारी रास्ते में रुक जाती है, तब लोग हार मान जाते हैं और बहु बाल का प्रयोग असफल हो जाता हैं। ऐसे में घास भाऊजी को मदिरा अर्पित करने एवं नारियल फोड़ने पर पुनः भेरुजी की सवारी आगे की ओर भ्रमण जारी रखा जाता है।
अंतिम नगर भ्रमण सवारी को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा गया,इस दौरान ढ़ोल नागाड़ो की धुन पर हजारों लोग नाचते हुए चल रहे थे।
– भेरु बावजी की सवारी बारी दरवाजे से होते हुए भोई मोहल्ला मदरबाग छोटा बाजार चुना कोठी सिंघाड़ा गली होता हुआ बड़े बाजार होकर घास भेरुजी के मूल स्थान मंदिर पहुंची । जहां धूमधाम से आरती उतारकर घास भेरुजी को विराम कराया जाता है
लोगों का कहना है कि घास भाऊजी की सवारी निकालने से पशु-पक्षी और इंसानों के रोग-कष्ट दूर होते हैं। नगर भेरूजी की सवारी निकलने से बड़ी-बड़ी बीमारियां ठीक हो जाती हैं, और किसी बड़े प्रकोप का सामना नहीं करना पड़ता। महिलाएं और पुरुष सभी प्रकार के लोग यहां आते हैं, अगरबत्ती और प्रसाद चढ़ाते हैं, और बच्चों को भेरुजी का तिलक लगाकर स्वस्थ होने की मनोकामना मांगते हैं।