कांग्रेस ने 6 सीट बोलकर रात एक बजे तक जगाया लेकिन जीरो पकड़ाया; कमलनाथ-दिग्विजय पर बरसे अखिलेश- VIDEO
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कांग्रेस के अब तक के रुख से साफ हो गया है कि वह मध्य प्रदेश में अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। यह भी स्पष्ट हो गया है कि मध्य प्रदेश में वह INDIA गठबंधन के तहत सीटें साझा नहीं करेगी। हालांकि कई रिपोर्टों में सपा एवं अन्य दलों से गठबंधन को लेकर अंदरखाने चल रही बातचीत का जिक्र सामने आया था। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज इन रिपोर्टों की पुष्टि कर दी है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर उनके पार्टी के नेताओं की बातचीत हुई थी लेकिन कांग्रेस वादे से पीछे हट गई।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- पूर्व में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस नेता ने बैठक बुलाई थी, जिसमें हमने उन्हें समाजवादी पार्टी की पूरी रिपोर्ट दिखाई। रात 1 बजे तक समाजवादी पार्टी के नेताओं को उन्होंने जगाया और भरोसा दिया कि हम 6 सीटों पर विचार करेंगे लेकिन जब सीटें घोषित की गईं तो समाजवादी पार्टी शून्य रही… यदि हमें पहले पता होता कि विधानसभा स्तर पर INDIA का कोई गठबंधन नहीं होने वाला है तो हम उसमें कभी मिलने ही नहीं जाते…
इसके साथ ही अखिलेश यादव ने INDIA गठबंधन की पहलकदमी पर कांग्रेस को दो-टूक सुनाते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ जैसा व्यवहार किया जाएगा वैसा व्यवहार उनको (कांग्रेस) देखने को मिलेगा… दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस की समान विचारधारा वाली कुछ पार्टियों से गठबंधन के सिलसिले में अंदरखाने बातचीत हो रही थी। घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि कांग्रेस जिन पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत कर रही थी उनमें समाजवादी पार्टी प्रमुख थी।
सूत्रों की मानें सपा एवं कुछ अन्य दलों के नेता मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में थे। हालांकि कांग्रेस की ओर से आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा गया था। अब अखिलेश यादव ने अपने बयान से साफ कर दिया है कि मध्य प्रदेश में सपा की कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत तो हुई थी।
चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि अखिलेश को इस बात की नाराजगी है कि जब मध्य प्रदेश में गठबंधन नहीं करना था, सपा को सीटें नहीं देनी थी तो उनके नेताओं को क्यों बुलाया गया। गठबंधन के मसले पर बात क्यों की गई। रात एक बजे तक मीटिंग क्यों की गई, एक-एक सीट का हिसाब क्यों लिया गया? यदि कांग्रेस की ओर से यही किया जाना था तो सपा पहले ही गठबंधन नहीं होने को लेकर अश्वस्त हो जाती। सपा पहले से अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने को लेकर तैयारी करती। खैर अंदरखाने जो भी हो, एक बात तो साफ है कि INDIA गठबंधन की राह इतनी आसान नहीं है।