नीमच

राष्ट्रीय विकास के लिए सामाजिक एकता के पक्षधर थे चौथमल जी महाराज साहब – प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी म. सा.

जैन दिवाकर जयंती उत्सव: लोकाशाह जयंती एवं विदाई समारोह आज,
राष्ट्रीय विकास के लिए सामाजिक एकता के पक्षधर थे चौथमल जी महाराज साहब – प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी म. सा.

नीमच। चौथमल जी महाराज साहब राष्ट्रीय विकास के लिए सामाजिक एकता के पक्षधर थे। चौथमल जी महाराज साहब सभी संप्रदायों के गुरुओं का सम्मान करते थे। वे मानवता विकास के लिए सदैव तत्पर रहते थे। उन्होंने देश में अनेक पीडि़त मानवता जीव दया समाज सेवा प्रकल्प के लिए अनेक लोगों को प्रेरित किया था। गुरुदेव सभी संप्रदाय के लोगों से प्रेम सद्भाव के साथ व्यवहार करते थे। गुरुदेव का छत्तीस कोम के लोग आदर करते थे जो आज भी आदर्श प्रेरणादाई प्रसंग है। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन पर दिवाकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि चौथमल जी महाराज साहब का जीवन भगवान महावीर की सर्वोदय भावना को साकार करता था, क्योंकि उन्होंने एक संप्रदाय विशेष में भले ही जन्म लिया था और जैन साधु दीक्षा स्वीकार की लेकिन मानव समाज में अहिंसा मानवीय संवेदना की जागृति के लिए गांव-गांव गली-गली राज्य राज्य घूम कर उन्होंने उच्च नीच का भेदभाव मिटाया, गरीब से लेकर उच्च वर्ग तक जीव दया की भावना का संदेश दिया। भारतीय आर्य सभ्यता और तथा संस्कारो को घर-घर तक पहुंचाया और कहा था कि हम सब अपने जीवन में हर मानव के प्रति प्रेम पूर्वक दिल में सहृदयता का वास रखें और एक दूसरे के सहयोगी बने और सदैव भलाई के पुण्य कर्म करते रहे ताकि भारत देश का गौरव पूरे विश्व में बढ़ सके और पूरी दुनिया भारत की संस्कृति से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में आत्म शांति को प्राप्त कर सकें। यह है स्पष्ट है कि जिस प्रकार दर्पण सदैव सच बोलता है उसी प्रकार चौथमल जी महाराज साहब की कथनी और करनी में सामंजस्य था इसलिए वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, फारसी सभी छत्तीस कोम में मानवता के कल्याणकारी आधार की दृष्टि से देखे जाते थे। अहिंसा जीव प्रेम भाईचारा का संदेश उन्होंने समाज को समय-समय पर सिखाया था, तभी तो वह जन- जन के दिवाकर और जगत वल्लभ कहलाए थे। चौथमल जी महाराज साहब की बताएं उपदेशों पर चले तो हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। साध्वी डॉक्टर विजय सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि महापुरुषों के उपदेश पर चले तो जीवन का कल्याण हो सकता है।

लोकाशाह जयंती आज
जैन दिवाकर महिला मंडल नीमच छावनी की अध्यक्ष श्रीमती रानी राणा, सचिव सीमा चोपड़ा, कोषाध्यक्ष सुरेखा चंडालिया ने बताया कि गुरु चौथमल जी महाराज साहब जैन दिवाकर के 146 वें जयंती महोत्सव के पावन उपलक्ष्य एवं कार्यक्रम की श्रृंखला में रविवार 26 नवंबर को सुबह 9 बजे जैन दिवाकर का चालीसा पाठ आयोजित किया गया। दो भाग्यशाली विजेताओं के ड्रॉ खोलकर सम्मानित किया गया। ड्रॉ के धर्म लाभार्थी श्रीमती संगीता राजेंद्र जारोली तथा मंजू सांवर लाल कांठेड़ परिवार थे। दोपहर 1 बजे बच्चों की धार्मिक फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता 11 वर्ष से ऊपर वर्ग की आयोजित की गई। हॉस्पिटल में फल वितरण कार्यक्रम भी आयोजित किया। आज
27 नवंबर को सुबह 9 बजे लोका शाह जयंती एवं विदाई समारोह आयोजित किया जाएगा।
इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की।
धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया।

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