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एक परिवार या परिवार से एक, MP में भाजपा-कांग्रेस ने किस पैटर्न पर बांटा टिकट

MP Assembly Election: मध्य प्रदेश में तकरीबन सभी सीटों पर प्रमुख प्रतिद्वंदी भाजपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। दोनों दलों ने कद्दावर नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने के साथ-साथ कई समीकरणों और सियासी चाल पर पैनी नजर रखी है। इन कई समानताओं के बावजूद भाजपा कांग्रेस ने टिकट बांटने में अपने पैटर्न का प्रयोग भी किया है। पार्टी टिकटों के विश्लेषण के अनुसार, मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने चार परिवारों को एक से अधिक टिकट दिए हैं, जबकि भाजपा ने एक परिवार में एक सदस्य को टिकट देने के प्लान पर सियासी फील्डिंग सेट की है। 

गौरतलब हो कांग्रेस ने 2022 में अपने उदयपुर सम्मेलन में कहा था कि वह प्रति परिवार एक टिकट आवंटित करेगी और युवा उम्मीदवारों को प्राथमिकता देगी। कांग्रेस इन दोनों प्लानों पर विफल रही। मध्य प्रदेश में कम से कम 57% उम्मीदवार 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं। प्रति परिवार केवल एक टिकट वाले प्लान पर नहीं चल सकी। 

कांग्रेस ने राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गोविंद सिंह के परिवारों को तीन-तीन टिकट दिए हैं। गोविंद सिंह को लहार से, उनकी रिश्तेदार चंदा रानी गौड़ को खरगापुर से और उनके भतीजे राहुल सिंह भदोरिया को मेहगांव से टिकट मिला है। राहुल सिंह पहली बार चुनाव लड़ेंगे। 

इसी तरह, कांग्रेस ने राघौगढ़ से दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह, चचौरा से उनके भाई लक्ष्मण सिंह और उनके भतीजे प्रियव्रत सिंह को टिकट दिया है।

वहीं, विंध्य क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह को चुरहट से और उनके बहनोई राजेंद्र सिंह को अमरपाटन से टिकट मिला है। एक और परिवार जिसे दो टिकट मिले हैं वह निमाड़ से है जहां सेना पटेल को जोबट से और उनके बहनोई मुकेश पटेल को अलीराजपुर से टिकट मिला है।

टिकट पाने वाले अन्य दिग्गजों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष जोशी के बेटे दीपक पिंटू जोशी, वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया, सांवेर से वरिष्ठ नेता प्रेम चंद गुडडू की बेटी रीना बौरासी सेतिया, मौजूदा कांग्रेस विधायक आरिफ के बेटे आतिफ अकील शामिल हैं। भोपाल उत्तर से अकील और पूर्व मंत्री स्वर्गीय सुभाष यादव के बेटे सचिन यादव को टिकट मिला है। 

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “उदयपुर सम्मेलन में एक सदस्य-एक परिवार का नियम इस शर्त के साथ लाया गया है कि यदि परिवार के सदस्यों ने कम से कम पांच साल तक पार्टी के लिए काम किया है तो यह नियम उन पर लागू नहीं होगा। दीपक पिंटू, राहुल भदोरिया, रीना बौरासी और विक्रांत भूरिया जिन्हें टिकट दिया गया है, वे कई वर्षों से पार्टी के लिए काम कर रहे थे।”

50 साल से कम उम्र वालों को 50 फीसदी टिकट देने के एक और नियम का पालन नहीं किया गया है। पार्टी ने 50 से कम आयु वर्ग के 43% उम्मीदवारों (घोषित 229 टिकटों में से 99) को टिकट दिया गया है।

पार्टी प्लानिंग के बारे में एमपी कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने कहा,“पार्टी ने केवल एक ही चीज का पालन किया कि केवल जीतने वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो राजनीतिक रूप से प्रतिबद्ध हर व्यक्ति को उनके परिवार के अनुसार लेबल न देकर महत्व देती है।”

वहीं बीजेपी ने वरिष्ठ नेताओं के परिजनों खासकर बेटों के टिकट काट दिए और एक ही परिवार के एक सदस्य को टिकट दिया है। इंदौर-1 से कैलाश विजयवर्गीय को टिकट देने के बाद बीजेपी ने मौजूदा विधायक और कैलाश के बेटे आकाश विजयवर्गीय का टिकट काट दिया। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, इसी तरह, पार्टी ने वरिष्ठ भाजपा नेता गोपाल भार्गव, कैबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा और जयंत मलैया के बेटे का टिकट काटकर उन्हें टिकट दिया है। बिना किसी पद के पार्टी की सेवा करने की घोषणा के बाद भाजपा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन को टिकट दिया है।

वहीं कांग्रेस पर हमलावर होते हुए बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा,”बीजेपी एक अनुशासित पार्टी है और भाई-भतीजावाद के खिलाफ है। पार्टी की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। हम कांग्रेस की तरह नहीं हैं जिसने अपने फायदे के हिसाब से नियम बदल दिए।”

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