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अखिलेश के बयान पर दिग्विजय की मुहर, बोले- एमपी में सपा के साथ गठबंधन चाहते थे कमलनाथ

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को अखिलेश यादव के उस खुलासे पर मुहर लगा दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि एमपी में गठबंधन के लिए कांग्रेस के नेता सपा के साथ बातचीत कर रहे थे। दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस में उनके सहयोगी कमलनाथ अगले महीने होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा के साथ पूरी ईमानदारी के साथ गठबंधन करना चाहते थे लेकिन पता नहीं क्यों ‘इंडिया’ के दोनों घटकों के बीच इस मुद्दे को लेकर चल रही बातचीत कैसे पटरी से उतर गई।

दिग्विजय सिंह यहीं नहीं रुके उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की लीडरशिप क्षमता की तारीफ की। साथ ही मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ द्वारा अखिलेश के लिए शब्दों के चयन पर असहमति भी जताई। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैंने कमलनाथ को सपा के लिए चार विधानसभा सीटें छोड़ने का सुझाव दिया था जबकि सपा आधा दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती थी।    

भोपाल में अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने कांग्रेस और सपा के बीच सीटों की लड़ाई को कम करने की कोशिश की। यह लड़ाई कांग्रेस द्वारा ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक होने के बावजूद सपा को कोई विधानसभा सीट आवंटित नहीं करने के बाद छिड़ गई है। दिग्विजय ने कहा-  यह ठीक है… गठबंधन सहयोगियों के बीच दोस्ताना झगड़े होते रहते हैं, लेकिन मैं इतना तो जानता हूं कि सपा और अखिलेश कभी भी भाजपा के साथ नहीं जाएंगे।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि एमपी चुनाव के लिए सपा के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस के भीतर चर्चा हुई थी। कमलनाथ ने दीप नारायण यादव के नेतृत्व वाले सपा नेताओं के साथ चर्चा के लिए कांग्रेस नेता अशोक सिंह को मेरे पास भेजा था। इस कमरे में (भोपाल में उनके निवास पर) हमारी चर्चा हुई। सपा एक सीट बिजावर (2018 के चुनावों में) बुंदेलखंड क्षेत्र में जीती थी और दो अन्य सीटों पर वह दूसरे स्थान पर थी। सपा छह सीटें चाहती थी, और मैंने कमलनाथ को सपा के लिए चार सीटें छोड़ने का सुझाव दिया था।

दिग्विजय सिंह ने बताया कि बाद में मामला कांग्रेस कार्य समिति और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के पास गया, लेकिन उन्होंने (सपा के साथ गठबंधन) का मुद्दा राज्य नेतृत्व पर छोड़ दिया। ‘इंडिया’ गठबंधन अगला लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ेगा, लेकिन साथ ही कहा कि राज्यों के चुनाव से जुड़े मुद्दे अलग होते हैं। मुझे नहीं पता कि यह बातचीत कहां पटरी से उतर गई लेकिन जहां तक कमलनाथ का सवाल है, मैं कह सकता हूं कि वह पूरी ईमानदारी के साथ सपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे।

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